ग्वालियर, एक प्रसिद्ध शहर जो इतिहास और पुरातात्विक धरोहरों को समेटे हुआ है, मध्य प्रदेश की पर्यटन राजधानी है। विशाल किलों से लेकर सुंदर मंदिरों और आश्चर्यजनक स्मारके इस शहर को आकर्षण का केंद्र बनती हैं। ग्वालियर ने हमारे देश को सबसे न केवल तानसेन जैसे प्रतिभाशाली संगीतकार दिए जिन्होंने अपनी कला सीखी और भारतीय शास्त्रीय संगीत की नींव को मजबूत करते हुए कई राग और ध्रुपद रचनाएं बनाईं। ग्वालियर के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। हमारे देश की समृद्ध विरासत और संस्कृति में इसके योगदान के महत्व को समझने के लिए आपको इस शहर का दौरा जरूर करना चाहिए।
ग्वालियर में घूमने की जगह
1. ग्वालियर का किला
भारत में किलो के मोती के रूप में जाने जाना वाला यह किला कई युद्धों, घटनाओं और उतर चढाव का साक्षी रहा है। गोपाचल नाम के चट्टानी पहाड़ के ऊपर ऊँचा खड़ा, यह वास्तुशिल्प चमत्कार 3 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला है और शहर के सभी कोनों से दिखाई देता है। किले के अंदर महलों, मंदिरों और पानी की टंकियों सहित कई आकर्षण हैं और इस किले को पूरा घूमने में पूरा एक दिन लग सकता है।
समय: सुबह 06:00 बजे – शाम 05:30 बजे
प्रवेश शुल्क: भारतीयों के लिए ₹ 75; ₹250 विदेशी पर्यटकों के लिए
2. गुजारी महल संग्रहालय, ग्वालियर
राजा मान सिंह तोमर द्वारा निर्मित, यह 15 वीं शताब्दी का महल ग्वालियर किले के अंदर स्थित है जिसे अब संग्रहालय में बदल दिया गया है। समय की कसौटी पर खरा उतरा यह पुरातात्विक संग्रहालय आपको इस शहर के इतिहास और इसके शासकों के बारे में जानकारी देगा। आप यहाँ प्रदर्शनों में टेराकोटा आइटम, पत्थर और तांबे की प्लेट शिलालेख, सिक्के, कांस्य मूर्तियां, हथियार, और गुफा चित्रों की प्रतिकृतियां और खुदाई सामग्री देखने को मिलेंगी।
समय: सुबह 09:00 – शाम 05:00 बजे (सोमवार को बंद)
प्रवेश शुल्क: भारतीयों के लिए ₹10, विदेशी पर्यटकों के लिए ₹100
3. तेली का मंदिर
द्रविड़ वास्तुकला और विस्तृत कलाकृति के लिए प्रसिद्ध यह एक प्राचीन हिन्दू मंदिर है, जो ग्वालियर किले के परिसर के अंदर सबसे ऊंची संरचना है। यह लगभग 100 फीट ऊंचा है, तथा बौद्ध और हिंदू वास्तुकला का मिश्रण है। इतिहासकारों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण 8वीं या 11वीं शताब्दी के दौरान किया गया था और यह किले का सबसे पुराना मंदिर है जो की भगवान विष्णु को समर्पित है।
समय: सुबह 08:00 – शाम 06:00 बजे
प्रवेश शुल्क: ₹ 20
4. गोपाचल पर्वत
गोपाचल पर्वत ग्वालियर किले में स्थित है और सदियों पुरानी जैन प्रतिमाओं को देखने के लिए एक महान जगह है। यह रॉक-कट मूर्तियों का एक समूह है जो ग्वालियर किले के निचे दक्षिण की ओर स्थित है और ग्वालियर में देखने की सबसे अच्छी चीजों में से है। ये नक्काशी 7वीं और 15वीं शताब्दी की हैं। आप यहाँ जैन तीर्थंकर को या तो बैठे हुए या खड़े होकर ध्यान करते देख पाएंगे, गोपाचल पर्वत विशेष रूप से जैन धर्म के अनुयायियों के बीच एक उल्लेखनीय और पूजनीय स्थल है।
समय: 24 घंटे खुला।
प्रवेश शुल्क: नि: शुल्क।
5. सास बहू मंदिर
इस मंदिर को मूल रूप से सहस्त्रबाहु मंदिर के रूप में निर्मित किया गया था जो कई हाथों वाले भगवान विष्णु का दूसरा नाम है। समय के साथ धीरे-धीरे गलत उच्चारण के कारण यह सास बहू मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
इस मंदिर का निर्माण कच्छपघाट राजवंश के राजा महिपाल के शासनकाल में किया गया था, जिन्होंने ब्रह्मांड के भगवान से एक समृद्ध और सफल राज्य की कामना की थी। इस मंदिर को इसकी जटिल डिजाइन और त्रुटिहीन नक्काशी के लिए भी सराहा जाता है।
समय: सप्ताह के सभी दिनों में सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक।
प्रवेश शुल्क: नि: शुल्क।
मान मंदिर पैलेस
समय: सुबह 08:00 – शाम 06:00 बजे
प्रवेश शुल्क: ₹ 20
6. गुरुद्वारा दाता बंदी छोर साहिब
सिक्खो के छठे गुरु संत हर गोविंद सिंह की स्मृति में निर्मित, गुरुद्वारा एक नखलिस्तान है जिसे सोने में अलंकृत सफेद संगमरमर से बनाया गया है। गुरुद्वारा हर तरह से शानदार है और बहुत ही सौंदर्यपूर्ण रूप से मनभावन है। ऐसा मन जाता है कि मुगल बादशाह जहांगीर ने संत हर गोविंद सिंह को इसी स्थान पर कैद किया था, इसलिए यहां गुरुद्वारा का निर्माण किया गया है। यह ग्वालियर में घूमने के स्थानों में शीर्ष में से एक है और यहाँ अवश्य जाना चाहिए।
समय: सुबह 06:00 बजे – शाम 06:00 बजे
प्रवेश शुल्क: नि: शुल्क
7. सूर्य मंदिर
प्रसिद्ध उद्योगपति जीडी बिड़ला द्वारा 1988 में निर्मित, सूर्य मंदिर एक शानदार संरचना है जो लाल बलुआ पत्थर से बना है। कोणार्क स्थित विश्व प्रसिद्ध सूर्य मंदिर से प्रेरणा लेकर ग्वालियर में भी ऐसा ही एक मंदिर का ढांचा बनाया गया है। मंदिर के चारों ओर हरियाली के बिच यह मंदिर बहुत मनमोहक प्रतीत होता है।
समय: सुबह 6:30 से दोपहर 12 बजे तक; सप्ताह के सभी दिनों में दोपहर 1 बजे से शाम 6 बजे तक।
प्रवेश शुल्क: नि: शुल्क
8. मुहम्मद गौस का मकबरा
मुहम्मद गौस 16वीं सदी के सूफी संत थे, जो बाबर के सलाहकार और संगीत उस्ताद तानसेन के शिक्षक थे। उनके मकबरे में षट्कोणीय मंडप और पत्थर की नक्काशी है जो मुगल वास्तुकला की भव्यता को दर्शाती है।
समय: सुबह 06:00 बजे – शाम 06:00 बजे
प्रवेश शुल्क: नि: शुल्क
9. तानसेन का मकबरा
मुहम्मद गौस के मकबरे से कुछ कदम चलें, और आपको तानसेन का एक छोटा, सरल स्मारक दिखाई देगा। वह अकबर के राज्य में प्रसिद्ध गायक और भारतीय शास्त्रीय संगीत के पिता थे। उनकी समाधि पर हर साल नवंबर-दिसंबर में राष्ट्रीय स्तर का संगीत समारोह आयोजित किया जाता है।
समय: सुबह 06:00 बजे – शाम 06:00 बजे
प्रवेश शुल्क: नि: शुल्क
10. जय विलास पैलेस
यदि आप शाहजहाँ और औरंगजेब के युग से लेकर रानी लक्ष्मी बाई के शासनकाल के स्वतंत्रता आंदोलन तक के हथियारों को देखने में रुचि रखते हैं, तो जय विलास पैलेस के प्रमुख स्थान हैं। यह अच्छी तरह से संरक्षित महलनुमा स्मारक जयाजी राव सिंधिया द्वारा बनाया गया था जो कभी ग्वालियर के महाराजा थे।
महल 75 एकड़ के क्षेत्र में फ़ैला हुआ है और यह जयाजी राव सिंधिया के वंशजों के निवास के साथ-साथ 35 कमरों वाला एक भव्य संग्रहालय है।
समय: बुधवार को छोड़कर सप्ताह के सभी दिनों में सुबह 10 बजे से शाम 4:45 बजे
प्रवेश शुल्क: INR 100 प्रति व्यक्ति (भारतीय)।
11. फूल बाग
स्वर्गीय माधो राव सिंधिया ने फूल बाग का निर्माण करवाया, और इसका उद्घाटन 1922 में प्रिंस ऑफ वेल्स द्वारा किया गया था। यह स्थान सुव्यवस्थित और सुंदर बगीचों के लिए प्रसिद्ध है, जहाँ आप पिकनिक का आनंद ले सकते हैं या परिवार और प्रियजनों के साथ समय बिता सकते हैं।
समय: 05:30 पूर्वाह्न – 07:00 अपराह्न
प्रवेश शुल्क: नि: शुल्क